सात लाख कार्यकर्ताओं की जनमेदनी के बीच राजनीतिक दांव-पेंच के भाषणों को
यूं समझें
भोपाल में पं. दीनदयाल उपाध्याय के जयंती के मौके पर भाजपा की ओर से जंबूरी
मैदान में आयोजित कार्यकर्ता कुंभ में सवा
सात लाख कार्यकर्ताओं के सामने नरेन्द्र मोदी और शिवराजसिंह चौहान के आगामी
विधानसभा चुनाव के लिए चुनावी बिगुल फूंक दिया है। कार्यकर्ताओं की भूमिका को
केन्द्र में रखकर कांग्रेस पर इस बार हल्ला बोला गया है। बाकी नेता तो रस्म अदायगी
के तौर पर ही सीमित रहे। मोदी ने भी प्रदेश के मुद्दों, एकात्म मानववाद की विचारधारा और
कार्यकताओं की भूमिका पर फोकस रखा तो शिवराज ने अपने कार्यकाल में विकास की
उपलब्धियों और फिर एबीसीडी के माध्यम से कांग्रेस
के भ्रष्टाचार पर हल्ला बोला। राजनीतिक तौर पर बात करें तो मोदी, आडवाणी कार्यकर्ताओं और शिवराज
को साधते नजर आए। भाषण देने से पहले आडवाणी ने मोदी से रूख नहीं मिलाया लेकिन भाषण
के बाद उनसे न सिर्फ बात की वरन ् उनके कंघे पर हाथ रखकर काफी देर खड़े भी रहे।
मंच में कार्यकर्ताओं के सामने मोदी ने आडवाणी के दो बार पैर छुए। दूसरी ओर शिवराज
ने पूरे भाजपा संसदीय बोर्ड को मंच पर लाकर और इतने बड़े सफल सम्मेलन का आयोजन कर
अपनी क्षमता साबित की है। इस दौरान कहीं बातो का क्या मतलब है जानें यहां पर..
मोदी ने कार्यकर्ताओं और प्रदेश
के मुद्दों को रखा केन्द्र में
१. दीनदयाल उपाध्याय और एकात्म मानववाद का स्मरण : भारतीय जनसंघ के संस्थापक
पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में मोदी प्रसंग को ध्यान में
ररखते हुए पं. दीनदयाल उपाध्याय की विचारधारा
और एकात्म मानववाद पर बात की।
उन्होंने शिवराजसिंह को याद दिलाया कि वे पं दीनदयाल उपाध्याय पर कैसे धारा
प्रभाव भाषण देते थे। इससे हम जैसे लोगों को दीनदयालजी की विचारधारा को समझने में
मदद मिलती थी। वे खुद एक बार उनका भाषण सुनने के लिए गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि शिवराज ने मुख्यमंत्री
बनने के बाद एकात्म मानववाद की विचारधार को आत्मसात करते हुए समाज की अंतिम पंक्ति
में खड़े अंतिम व्यक्ति के आंसू पोंछने का
काम किया है।
मतलब: पं. दीनदयाल उपाध्याय की जंयती पर कार्यक्रम था तो प्रसंगवश इस पर
बोलना लाजिमी भी था। साथ ही उन्होंने पं. दीनदयाल उपाध्याय पर देशभर में भाषण दे
चुके शिवराजसिंह चौहान की तारीफ कर उन्होंने साधने की कोशिश की। शिवराजसिंह चौहान जब भारतीय युवा मोर्चा का
राष्ट्रीय नेतृत्च संभाल रहे थे तब उन्होंने पं दीनदयाल उपाध्याय पर देश के हर
कोने में भाषण दिए थे।
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२. कार्यकर्ताओं से सीधी बात: कार्यकताओं से सीधी बात करते हुए उन्होंने कहा
कि २५ सितम्बर २०१६ को पं. दीनदयाल उपाध्याय की जन्म शताब्दी आने वाली है। ऐसे में
उस समय केन्द्र और ज्यादातर राज्यों में भाजपा की सरकार हो और ऐसा आप जैसे
कार्यकर्ताओं की मदद से ही हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि कार्यकर्ता अधिक से
अधिक लोगों को बूथ पर लाकर मतदान करवाएं। उन्होंने कार्यकर्ताओं से मुखातिब होकर
कहा कि कांग्रेस गांधीजी की एक इच्छा पूरी नहीं कर सकी क्या आप उसे पूरी कर
सकेंगे। जब कार्यकताओं ने समवेत स्वर में हां कहा तो उन्होंने कहा कि गांधीजी की
इच्छा थी कि आजादी के बाद कांग्रेस को खत्म कर दिया जाए। कांग्रेसी नेताओं ने उनकी
बात नहीं सुनी अब भाजपा के कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है कि वे गांधीजी की इच्छा
को पूरा करें। उन्होंने कांग्रेस मुक्त बूथ और कांग्रेस मुक्त देश का आह्वान किया।
मतलब: पूरे प्रदेश के ५१००० बूथों आए लगभग सवा सात लाख कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करते हुए मोदी ने उन्हें उनका
महत्व समझाया। इसका मतलब साफ है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा का पूरा
फोकस वोटिंग बढ़वाने पर है। इसी में छुपी है सफलता की चाबी। और यह केवल कार्यकताओं
की मदद से संभव है। उन्होंने कहा कि देश
में भाजपा के पक्ष में चल रही आंधी जब वोटिंग मशीनों में कैद होगी तभी देश का
फायदा होगा। यानी कार्यकर्ता सर माथे पर।
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३. मध्यप्रदेश से संबधों को याद किया : मोदी ने अपने भाषण में
मध्यप्रदेश के संगठन मंत्री रहने के दौर को याद करते हुए कु शाभाउ ठाकरे, सुंदरलाल पटवा और कैलाश जोशी
जिक्र करते हुए कहा कि वे प्रदेश की हर विधानसभा क्षेत्र तक जा चुके हैं।
मतलब: कार्यकर्ताओं को संदेश देने की कोशिश की कि वे मध्यप्रदेश के चप्पे-चप्पे
से परिचित हैं और वे किसी को नहीं भूलते। वैसे वे प्यारेलाल खंडेलवाल का नाम लेना
भूल गए। पटवा शासनकाल में भाजपा की गुटबाजी के मूल में मोदी ही थे। खंडेलवाल के
कंघे पर बंदूक रखकर मोदी ने पटवा की नाक में खूब दम किया था।
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४. राज्य के मुद्दों से कांग्रेस को घेरा: मोदी ने बिना नाम लिए
दिगविजयसिंह के शासन काल में प्रदेश की मिट्टी पलीत होने की बात कहकर कांग्रेस को
घेरा । उन्होंने कहा कि उस समय तीन हजार मेगावाट बिजली भी नहीं थी। सुदंरलाल पटवा
के करे कराए पर कांग्रेस ने पानी फेर दिया। उसके दस साल बाद बाद भाजपा आई और दस
साल में ही दस हजार मेगावाट बिजली हो गई। उन्होंने कहा कि दिल्ली में बैठे
हुक्मरान भाजपाशासित राज्यों की मदद में अड़चनें डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर
सरदार सरोपर बांध में गेट लग जाएं तो मध्यप्रदेश को हिस्से में ८५० मेगावाट बिजली
आएगी। लेकिन केन्द्र सरकार गेट नहीं लगने दे रही है। उन्होंने जनता को आगाह किया
कांग्रेसी दस साल से भूखे हैं अगर वे सत्ता में आए तो प्रदेश को ही हजम कर जाएंगे।
मतलब: चूंकि मध्यप्रदेश में चुनाव है इसलिए उन्होंने प्रदेश के मुद्दों से
कांग्रेस को घेरा।भाजपा शासित राज्यों की सरकारों की सफलता गिनाई। और जनता को याद
दिलाया कि तीसरी बार भी शिवराज को जिताएं अगर कांग्रेस आ गई तो प्रदेश फिर से
बीमारू राज्य बन सकता है।
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५. सीबीआई और भ्रष्टाचार के बहाने
कांग्रेस पर निशाना : मोदी ने कहा कि इस चुनाव में कांग्रेस नहंी सीबीआई
चुनवा लड़ेगी कहकर सीबीआई के दुरूपयोग पर कांग्रेस को घेरा उन्होंने केन्द्र को
चेताया कि वह सीबीआई के दुरूपयोग से बाज आए। उन्होंने इस दौराना आपातकाल की भी याद
दिलवाई। मोदी से पहले शिवराजसिंह ने भाषण दिया था। इसमें उन्होंने कांग्रेस पर
भ्रष्टाचार की एबीसीडी पढ़ी। उन्होंने कांग्रेस के अब तक के घोटालों को ए से लेकर जेड की वर्णमाला के क्रम
में पढ़ा। मोदी ने इसे आगे बढ़ाते हुए कहा कि अगर इन घोटालों की रकम जोड़ी जाए और
उसे लिखना शुरू किया जाए तो पहला शब्द यदि भोपाल में लिखें तो अंतिम शब्द जनपथ पर
लिखा जाएगा।
मतलब: भ्रष्टाचार पर तो निशाना ठीक है पर सीबीआई के दुरूपयोग पर का मुद्दा उठाकर
यह संकेत देने की कोशिश की कि सीबीआई भाजपा नेताओं सहित उन्हें भी निशाना बना सकती
है। उल्लेखनीय हैै कि दो दिन पहले ही एक फर्जी एनकाउंटर मामले में सीबीआई ने मोदी
मंत्रिमंडल के दो सहयोगियों से पूछताछ की थी।
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शिवराज ने सभी को साधने के बाद
कांग्रेस पर बोला हल्ला
६. शिवराज का सधा भाषण : शिवराज ने अपने
भाषण में अपनी उपलब्धियों को बताया और कांग्रेस के भष्ट्राचार पर हमला करते हुए
पूरी एबीसीडी सुना दी। उन्होंने कांग्रेस मुक्त बूथ का नारा देकर कार्यकर्ताओं से
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अधिक से अधिक मतदाताओं को बूथ तक लाने का आह्वान
किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस
भ्रष्टाचार और पाप से सजी-धजी पार्टी है और इसे दिल्ली से उखाड़ फैंकना है।
कार्यकर्ता कुंभ में आई कार्यकर्ताओं की विशाल भीड़ को देखकर उन्होंने कहा कि कि
भाजपा प्रदेश में सत्ता की हैट्रिक लगाएगी। इसके बाद केन्द्र में भी भाजपा की
सरकार बनेगी। इससे कांग्रेसी डरे हुए हैं। वह मुझे सीबीआई के नाम से डराना चाहती
है लेकिन मैँ डरने वाला नहीं हूं। मैं कहता हूं छापा मारना हो तो दामादजी के यहा
मारें और फिर उन्होंने फेसबुक पर चल रही कांग्रेस के भ्रष्टाचार की एबीसीडी पढक़र सुना दी। उन्होनें गरीबों, पिछड़ों, महिलाओं और युवाओं के लिए लिए
प्रदेश सरकार की ओर से चलाई जा रही योजनाओं का जिक्र भी किया।
मतलब: सभी को साधा,
अपनी
दस साल की उपलब्धियां गिनाई और कांग्रेस को चुनौती देते हुए कहा कि सीबीआई से मैं
डरता नहीं और कांग्रेस को चेताया हमारे पास इतने कार्यकर्ताओं की फौज है हम चुनाव
में तुम्हें देख लेंगे।
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७. अन्य भाषण : आडवाणी, राजनाथसिंह,
अनंत
कुमार, वैंकया नायडू, मुरली मनोहर जोशी के भाषण रस्म
अदायगी ही रहे। उमा भारती ने जरूर अपने भाषण में बिना नाम लिए दिगविजयसिंह पर हमला
करते हुए कहा कि मि. भंटाढार ने अपने दस साल के कार्यकार में प्रदेश को बीमारू बना कर रख दिया। भाजपा की
ओर से उन्होंने बिजली , पानी और सडक़ के मुद्दों पर
कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर प्रदेश का
नया इतिहास लिखने की शुरुआत की। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने तिरंगा फहराने के
मुद्दे पर मुख्यमंत्री पद छोडऩा पड़ा था। उन्होंने अप्रत्यक्ष तौर पर यह जताने की
कोशिश की कि प्रदेश में भाजपा की सरकार लाने में उनका भी योगदान था और उन्हें जिस
तरीके से हटाया गया वह ठीक नहीं था। अरूण जेटली और सुषमा स्वराज ने मंझे अंदाज
ूमें छोटा लेकिन प्रभावी भाषण देकर कार्यकताओं को लुभाया। सुषमा स्वराज ने अपने
भाषण में शिवराज की योजनओं का जिक्र तो किया पर नमो मंत्र के जाप से परहेज ही रखा।
प्रदेशाध्यक्ष नरेन्द्र तोमर ने कार्यकर्ता कुंभ की शुरूआत करते हुए इसके बार में
जानकारी दी। यानी कार्यक्रम एक नरेन्द्र से शुरू हुआ और दूसरे नरेन्द्र पर खत्म।
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निष्कर्ष : मंच पर वाजपेयी को छोडक़र भाजपा संसदीय बोर्ड के सभी सदस्य मौजूद थे। इससे
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह ने यह जताने की कोशिश की से सभी की पसंद हैं। यानी
उन्होंने सभी को साध लिया। मोदी की भी तारीफ की। दूसरी ओर मोदी आडवाणी, शिवराज और कार्यकर्ताओं को साध
रहे थे। मोदी ने पितामह के पांव छुए पर उन्होंने ध्यान नहीं दिया। कार्यकर्ताओं के
सामने मोदी ने आडवाणी के दो बार पैर हुए। भाषण के बाद आडवाणी के रूख में परिवर्तन
आया। उन्होंने न केवल मोदी से बात की वरन उनके कंधे पर हाथ रखकर काफी देर तक बाद
भी की। सुषमा नमो मंत्र जपने से बचती रहीं। मसलन बर्फ अभी सारी पिघली नहीं है..
पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त। हिंट इतनी है कि चंद्रबाबू नायडू के एनडीए में आने
का इंतजार करें.. .. ..