देश के गैर गांधी प्रधानमंत्रियों की कार्यशैली के प्रति नाराजगी जताना गांधी परिवार का पुराना शगल है। लोकतंत्र है तो सभी को अपनी बात रखने का हक है लेकिन गांधी परिवार के सदस्य तभी नाराजगी जताते हैं जब उन्हें कांग्रेस की राजनीति के केन्द्र में आना होता है। याद कीजिए नरसिम्हाराव के प्रधानमंत्री रहते रायबरेली में आयोजित सभा में सोनिया गांधी ने राव की कार्यशैली पर सवालिया निशान उठाए थे। उसके बाद भी सोनिया कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय और प्रभावी हुई। अब राहुल गांधी ने उससे भी एक कदम आगे बढ़ते हुए दागी जनप्रतिनिधियों के मुद्दे पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल और कांग्रेस कोर के फैसल को बकवास और फाडऩे लायक बता दिया। यानी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके सलाहकारों पर भी राहुल की अंगुली उठी है।
जब इधर-उधर की बातें पढ़कर जी भर जाए, रहा न जाए और पढ़ने को मन ललचाए तो पढ़ें कुछ तीखी ई-मिरची
शनिवार, 28 सितंबर 2013
खाता न बही, राहुल कहें वही सही
देश के गैर गांधी प्रधानमंत्रियों की कार्यशैली के प्रति नाराजगी जताना गांधी परिवार का पुराना शगल है। लोकतंत्र है तो सभी को अपनी बात रखने का हक है लेकिन गांधी परिवार के सदस्य तभी नाराजगी जताते हैं जब उन्हें कांग्रेस की राजनीति के केन्द्र में आना होता है। याद कीजिए नरसिम्हाराव के प्रधानमंत्री रहते रायबरेली में आयोजित सभा में सोनिया गांधी ने राव की कार्यशैली पर सवालिया निशान उठाए थे। उसके बाद भी सोनिया कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय और प्रभावी हुई। अब राहुल गांधी ने उससे भी एक कदम आगे बढ़ते हुए दागी जनप्रतिनिधियों के मुद्दे पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल और कांग्रेस कोर के फैसल को बकवास और फाडऩे लायक बता दिया। यानी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके सलाहकारों पर भी राहुल की अंगुली उठी है।
दागी जनप्रतिनिधियों पर अध्यादेश तो बहाना है राहुल ने इसके बहाने यह साबित करने की कोशिश की है कि अब कांग्रेस में उनके बिना तो कोई निर्णय हो ही नहीं सकता। और यदि किसी ने किया तो उसका हाल ही नानसेंस उर्फ बकवास की ही तरह होगा। यानी सत्ता के केन्द्र को उन्होंने अपनी ओर घुमाना शुरू कर दिया है। वे या उनकी शह पर उनके समूह के लोग भी अब केन्द्र सरकार की कार्यप्रणाली पर और भी सवाल उठा सकत हैं। मसलन अपनी ही सरकार को घेर कर वे ये संदेश देने की कोशिश कर सकते हैें की सत्ता और संगठन कांग्रेस की दो अलग-अलग धुरियां हैं। लोकसभा चुनाव तक युवराज और उनकी टीम इस तरह के और भी ड्रामे कर सकती है। ताकि चुनाव का बैटन मनमोहन के हाथ से राहुल के हाथ में दिया जा सके।
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