बुधवार, 2 अक्तूबर 2013

राहुल गांधी आपको देश का प्रधानमंत्री क्यों बना दें?


आपको कितना प्रशासनिक अनुभव है  ? 
आप किस राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं ?
 किस केन्द्रीय मंत्रालय में बतौर मंत्री काम किया है आपने ?

दागी जनप्रतिनिधियों वाले अध्यादेश और बिल को सिंह इज नाट किंग वाली मनमोहन सिंह केबिनेट ने वापस लेने का प्रस्ताव पारित कर राहुल और सोनिया गांधी का असली चेहरा सामने ला दिया है। दरअसल सोनिया और राहुल गांधी सत्ता तो चाहते हैं पर जिम्मेदारी और जवाबदेही से बचना ही नहीं भागना चाहते हैं। इससे यह साबित होता है कि दस साल पहले प्रधानमंत्री पद त्यागने का सोनिया का निर्णय ढकोसले के अलावा और कुछ था ही नहीं । अभी तक जनता- जनार्दन सुनती आई े थी कि वे सोनिया और राहुल गांधी परदे के पीछे से सरकार चलाते हैं पर यह सब कैसे होता है इसका सीधा प्रसारण राहुल गांधी ने दिल्ली के प्रेस क्लब से नानसेंस वाले बयान से कर दिया। चूंकि प्रधानमंत्री देश में नहीं थे इसलिए दोनों की कलई भी खुल गई। राहुल अगर देश चलाना चाहते हैं तो उनका स्वागत है पर देश परदे के पीछे से नहीं जिम्मेदारी और जबाबदेही से चलता है। पर आपको हम देश क्यों चलाने दें? क्या है आपका प्रशासनिक अनुभव? क्या आप कसी राज्य के 5 से दस साल तक मंत्री रहे हैं? क्या आपने केन्द्र सरकार के किसी महकमे में बतौर मंत्री काम किया है?
जैसे: कांग्रेस में पी चिदम्बरम बरसों तक वित्तमंत्री और गृह मंत्री रहे, पृथ्वीराज चौहान केन्द्र में मंत्री रहे और अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं, सलमान खुर्शीद सालों तक विदेश मंत्रालय संभाला है, कपिल सिब्बल दस साल से मंत्री हैं, कमलनाथ भी राजीव गांधी के जमाने से विभिन्न मंत्रालय संभाल चुके हैं। शीला दीक्षिते भी तीन पारी से दिल्ली की मुख्यमंत्री हैं। मंत्री बनने से पहले ये लोग संगठन में भी काम कर चुके हैं।
भाजपा के नरेन्द्र मोदी की मुख्यमंत्री के रूप में तीसरी पारी है। मध्यप्रदेश में शिवराजसिंह चौहान और छत्तीसगढ़ में रमनसिंह की दूसरी पारी का अंतिम दौर चल रहा है। तीसरा चुनाव उनके सिर पर है। सुषमा स्वराज कई सालों तक मंत्री रहने के बाद अभी लोकसभा में विपक्ष की नेता हैं। अरूण जेटली भी लंबे समय तक मंत्री रहे हैं। दिल्ली क्रिक्रेट कंट्रोल बोर्ड चलाते हैं। सुप्रीम कोर्ट के नामी वकील भी हैं। भाजपा के से सभी नेता संगठन के महत्वपूर्ण पदों पर रहे फिर उन्हें सत्ता में भागीदारी मिली।
यानी कांग्रेस और भाजपा में जो भी लोग अभी अग्रिम मोरचे पर हैं उन्होंने स्टेप बाय स्टेप पहले राजनीति और फिर प्रशासन चलाने की कला सीखी। राहुल अभी आप कांग्रेस के सिर्फ उपाध्यक्ष हैं। इतना ही काफी नहीं है प्रधानमंत्री बनने के लिए। राजीव गांधी की ताजपोशी की स्थिति और थी। इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद उन्हें कांग्रेस का नेता चुना गया। इसके अलावा पायलट के रूप में उन्हें लंबा अनुभव भी था। विमान का पायलट रोज हजारों जिंदगियों को जिम्मेदारी और जबाबदेही से लाता ले जाता है। अगर आप गांधी परिवार का ठप्पा हटाकर अगर विदेश में नौकरी तलाशें मेरा दावा है कि आपको पचास हजार रुपए की नौकरी पाने में पसीना आ जाएगा। विदेश में इसलिए भारत में आपको नौकरी देने की हिमाकत किसी के पास नहीं है।
अगर आप प्रधानमंत्री बनकर देश की सेवा का सपना देख रहे हैं तो यह आपका लोकतांत्रिक हक है। लेकिन मेरा अनुरोध इतना है कि किसी राज्य के मुख्यमंत्री या किसी विभाग के पांच साल मंत्री रहकर काम करें। इससे आपको प्रशासनिक अनुभव मिलेगा। आपकी दादी श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपने पिता और देश के पहले प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरू के कार्यालय में गैर सरकारी निजी सहायक के तौर पर काम किया। पं नेहरू के निधन के बाद वे राज्यसभा सदस्य मनोनीत हुईं। लालबहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में वे सूचना और प्रसारण मंत्री रहीं। इसके बाद कहीं जाकर वे प्रधानमंत्री बनीं। जब देश गुलाम था तब कांग्रेस के नेताओं की मदद के लिए उन्होंने युवाओं की वानर सेना बनाई थी। यह काफी चर्चित थी।
अब परिवारवाद के दम पर तभी राजनीति चलेगी जब आप सक्षम होंगे। कारण कि राज्यों प्रशासनिक अनुभव वाले नेताओं की लंबी फौज तैयार हो चुकी है। यह अपने काम के दम पर ही खम ठोक रही है। इनमें गैर कांग्रेसी नेताओ का बोलबाला है। जैसे नरेन्द्र मोदी, शिवराज सिंह चौहान, रमनसिंह, नीतिश कुमार, नवीन पटनायक, ममता बनर्जी, उमर अबदुल्ला, जयललिता आदि। लिहाजा गांधी होने के ज्यादा जरूरी है योग्यता, जिम्मेदारी और जवाबदेही का होना। गांधी होने के आपको बोनस प्वांइट मिलेंगे और मिलना भी चाहिए। कारण कि भारत में तो माना जाता है कि बाप-दादाओं का जस तो आपको मिलता ही है।

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