रविवार, 19 जनवरी 2014

लालकिले से (भाग-10) मंदिर वाली पार्टी मंडल की राह पर


लालकिले से  (भाग-10)

मंदिर वाली पार्टी मंडल की राह पर

गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और अब राजस्थान में सामान्य और ओबीसी कांबीनेशन की सफलता के बाद 2014 के लोकसभा चुनाव के केन्द्र में होगा यह समीकरण। प्रधानमंत्री के उम्मीदवार मोदी ओबीसी तो अध्यक्ष राजनाथसिंह सामान्य वर्ग से।

मीडिया वालों को या तो न्यूजसेंस नहीं है या फिर उन्होंने किसी दबाव में ऐसा किया। दरअसल नई दिल्ली के रामलीला मैदान में भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की बैठक का सभी चैनलों ने सीधा प्रसारण दिखाया। जब विश्लेषण की बारी आई तो सभी चैनल मुद्दों से भटकते नजर आए। कांग्रेस पर राजनीतिक हमला और देश के भविष्य का विजन प्लान अपनी जगह पर महत्वपूर्ण थे लेकिन इसके बीच मोदी एक बड़ी राजनीति खेल गए। इसे कोई भी चैनल या विश्लेषक नहीं पकड़ पाया। मोदी ने कांगे्रस पर राजनीतिक हमला बोलते हुए बड़ी ही चतुराई से ओबीसी प्रधानमंत्री का कार्ड खेल दिया। अभी तक यह बात दबे-छुपे तरीके से ही चल रही थी। आज मोदी ने राहुल और कांग्रेस पर नाम लिए बिना कहा कि वे नामदार हैं, पिछड़ी जाति में पैदा हुए व्यक्ति के खिलाफ चुनाव लडऩा उनकी शान के खिलाफ है। मोदी के विरोधियों और समर्थकों के लिए भी यह एक बड़ी राजनीति बहस का विषय था। खबर भी बड़ी थी। मतलब मंदिर वाली पार्टी मंडल की राह पर पर आ गई है। लेकिन चैनलों से न्यूज और विषय दोनों गायब।
या तो चैनल वाले इस खबर को पकड़ नहीं पाए या जानबूझकर इस खबर को दबाते रहे। खबर दबाने का शक इसलिए है कि शाम को दिल्ली के चैनलों पर वही पुराना घिसे- पिटे केजरी और सुनंता के टेप चलने लगे। मंडल आंदोलन के बाद यह देश में मोदी की ओर से चला गया सबसे बड़ा ओबीसी मूव था।

देश में जनसंख्या का जातीय समीकरण

यदि जनसंख्या के हिसाब से बात करें तो मंडल आयोग की 1980 की सिफारिसों के अनुसार देश में 52 प्रतिशत ओबीसी आबादी है। यानी जैसे महिलाओं को आधी आबादी कहा जाता है वैसे भारत में भी ओबीसी वर्ग को भी आधी आबादी कहा जा सकता है। लेकिन मंडल के 26 साल बाद हुए नेशनल सेम्पल सर्वे आर्गनाइजेशन के आंकडों के अनुसार देश में ओबीसी की आबादी घटकर 41 फीसदी हो गई है। खैर इस आंकडों को लेकर विवाद भी हुआ। एनएसएसओ के २००६ के आंकडों के अनुसार देश की आबादी में ४१ प्रतिशत ओबीसी, २० प्रतिशत एससी और ९ प्रतिशत एसटी और शेष अन्य वर्ग के हैं। अन्य में 21 फीसदी सवर्ण जातियां और शेष 9 फीसदी मुस्लिम हैं। ओबीसी की कुल आबादी में से 75 फीसदी , यूपी, बिहार, उड़ीसा,झारखंड, बंगाल, राजस्थान, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में रहती है। यूपी और बिहार के मुस्लिम यादव समीकरण के खिलाफ भी समान्य और ओबीसी का काम्बीनेशन अब दांव पर है।
अगर हम मोदी के टार्गेट वोटर ग्रुप को देखें तो उसका फोकस 41 फीसदी ओबीसी और 21 फीसदी सवर्ण वोटों पर है। यानी कुल 62 फीसदी आबादी पर फोकस। एससी, एसटी और मुस्लिमों में जो उनका वोट है वो तो है ही। गुजरात, मध्यप्रदेश  और छत्तीसगढ़ में भाजपा की लंबे समय से सरकार बने रहने का एक कारण ओबीसी वर्ग है। इन राज्यों में मुख्यमंत्री या प्रदेशाध्यक्ष में से एक ओबीसी का अनिवार्य रूप से रहता है।

खाम थ्योरी के खिलाफ सामान्य और ओबीसी का गठजोड़

दरअसल गुजरात में कांग्रेस की माधवसिंह सोलंकी की खाम थ्योरी के खिलाफ आरएसएस ने ओबीसी और सामान्य वर्ग के गढजोड़ की थ्योरी चलाई थी। इसीके कारण भाजपा वहां सत्ता में आई। खाम की स्पेलिंग के एच ए एम में के मतलब क्षत्रिय, एच का मतलब हरिजन, ए मतलब आदिवासी और एम का मतलब मुस्लिम है। इससे आधार पर गुजरात में कांग्रेस ने एक छत्र राज्य किया। आरएसएस ने खाम थ्योरी के खिलाफ सामान्य और ओबीसी का कांबीनेशन तैयार किया । यह सफल रहा। कारण कि खाम थ्योरी से कांग्रेस २० प्रतिशत एससी, ९ प्रतिशत एसटी, 9 प्रतिशत मुस्लिम और 1 प्रतिशत क्षत्रिय यानी कुल 39 प्रतिशत जनसंख्या पर फोकस करती थी। ओबीसी के लोग भी वोट देते थे लेकिन फोकस खाम पर ही रहता था। आरएसएस ने पटेलों को साथ लेकर कांग्रेस की खाम थ्योरी के खिलाफ ओबीसी वर्ग को संगठित किया। यानी 39 प्रतिशत के खिलाफ 62 फीसदी लोगों की राजनीति। इसलिए गुजरात में लगातार भाजपा सरकार में आ रही है।

गुजरात के बाद मध्यप्रदेश में हुआ प्रयोग


  1. मध्यप्रदेश में यह प्रयोग पहले उमा भारती और फिर शिवराजसिंह चौहान के साथ आरंभ हुआ। दोनों ही मुख्यमंत्री ओबीसी से आते हैं। इनके समय अध्यक्ष पहले प्रभात झा और अभी शिवराजसिंह चौहान सवर्ण जाति के हैं।
  2. छत्तीसढ़ में मुख्यमंत्री डा रमनसिंह सामान्य वर्ग के हैं तो प्रदेशाध्यक्ष रामसेवक पैकरा एसटी के हैं। कारण कि ट्रायबल बहुल राज्य है।
  3. राजस्थान में वसुंधरा सवर्ण वर्ग की हैं तो अब नया अध्यक्ष ओबीसी से ही बनेगा। चुनाव में वसुंधरा ही पार्टी की प्रदेशाध्यक्ष थीं।
  4. आगामी लोकसभा चुनाव को ही देख लें प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी ओबीसी हैं तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथसिंह सामान्य वर्ग के हैं।
  5. गुजरात में मोदी के साथ अध्यक्ष पुरूषोत्तम रूपाला और वर्तमान में आरसी फलदू हैं।










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