बुधवार, 15 जनवरी 2014

लालकिले से (भाग-७) केजरीवाल का सोश्यल आडिट : उतरने लगा है नैतिकता का मुखौटा


 लालकिले से  (भाग-7)

केजरीवाल का सोश्यल आडिट : उतरने लगा              है नैतिकता का मुखौटा

अरिवंद केजरीवाल एक मुखौटा नैतिकता का। जिसने नैतिकता को हथियार बनाकर दिल्ली राज्य के तख्त को हासिल कर लिया। कांग्रेस जैसी एक सदी पुरानी पार्टी को दहाई के आंकड़े के लिए तरसा दिया। लेकिन वे अब उन मुद्दों से भटकने लगे हैं या गिरगिट की तरह रंग बदलने लगे हैं जिन के आधार पर उनकी पार्टी को २८  सीटें मिली थीं। पर शीला दीक्षित के भ्रष्टाचार, कांग्रेस से समर्थन, बिजली के दाम कम करने, सरकारी बंगला, बड़ी गाडिय़ां के मुद्दे पर उनका नजरिया बदल रहा है। सिर्फ  लाल बत्ती से परहेज, एफडीआई और बिजली कंपनियों के आडिट पर ही वे कायम हैं। चूंकि वे इस मुद्दों पर चुनाव जीते हैं इसलिए इन मुद्दों का प्रस्तुत है उनका शोश्यल आडिट।

शीला दीक्षित पर ऐसे पलटे की ३७० पेज के सबुत खो गए

चुनाव से पहले- शीला दीक्षित चोर और बिजली कंपनियों की दलाल हैं। मेरे पास उनके खिलाफ ३७० पेजों का बड़  सबूत है।
चुनाव के बाद - विधानसभा में बोले कि अगर हर्षवर्धन जी के पास शीला के खिलाफ कोई सबुत हैं तो हमें दें तभी इनके खिलाफ कार्रवाई हो सकेगी।
टिप्पणी - भई आपके ३७० पेजों के सबुत कहां गए। या तो वे थे ही नहीं अथवा खो गए या उन पर डील हो गई। मान लें कि आपके पास सबुत नहीं थे और आपने यंू ही बोल दिया था तो शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट देख लें जिसमें कामनवेल्थ घोटाले के सारे सूत्र जमा हैं।

कांग्रेस से समर्थन पर ऐस फिसले कि फिसलते चले गए

चुनाव से पहले- बच्चों की कमस खाता हूं कि न तो कांग्रेस से समर्थन लेंगे और न ही देंगे।
चुनाव के बाद - जनमत संग्रह की नौटंकी कर कांग्रेस के बाहरी समर्थन से सरकार  बना ली। बहुमत साबित कर दिया, स्पीकर भी बनवा लिया।
टिप्पणी - जिस कांग्रेस के खिलाफ आपको वोट मिला, जिस कांग्रेस के कुशासन से जनता त्रस्त थी उसी को एसएमएस और सभाओं के पोल में ऐसा उलझाया कि जैसे दिल्ली में दूसरा चुनाव हो रहा हो। ताकि कहीं से भी यह संदेश न जाए कि कांग्रेस और आप की मिली भगत है।

बिजली दरें- कंपनियों को सब्सिडी के नाम पर दे दिया आम जनता का पैसा

चुनाव से पहले- शीला दीक्षित की बिजली कंपनियों से सांठगांठ है। इसलिए हम आडिट करवाकर बिजली सस्ती करवाएंगे।
चुनाव के बाद - २०१३ के आखिरी दिन घोषण की कि २०० और ४०० यूनिट के स्लाट में ५० फीसदी सब्सिडी दी जाएगी।
टिप्पणी - कांग्रेस ने जुलाई में प्रति यूनिट १.२० और १. ०० रूपए की सब्सिडी दी हई है वह इस पचास फीसदी  में शामिल है। यानी कुल छूट औसतन २५ फीसदी बैठेगी। अगर सरकार जनता का पैसा बिजली कंपनियों को दे देगी तो विकास के लिए पैसा कहां से आएगा।

सरकार और अल्पमत की सरकार

चुनाव से पहले- शीला दीक्षित और केजरीवाल में चुनाव से पहले समझौता हुआ था कि केजरीवाल उन्हें बाहर से समर्थन देंगे और बाद में उन्हें दिल्ली का उपमुख्यमंत्री  बना दिया जाएगा। तब कांग्रेस का अनुमान था कि उसे २५ से ३० सीटें मिल सकती हैं। आप को ६ से ८ सीटों का अनुमान था। आप को खड़ा करने का मकसद यहीं था कि भाजपा को दो-तिहाई बहुमत नहीं मिले और एंटी कांग्रेस वोट आप को चला जाए।
चुनाव के बाद - कांग्रेस की सोच के बिल्कुल उल्टा हो गया था। कांग्रेस ने जितनी सीटें अपने लिए सोची थीं उतनी आप को मिल गईं और आप के लिए जितनी सीटें सोचीं थी उतनी उसे मिल गईं। यानी रोल चेंज हो गया। इसीलिए कांग्रेस ने आनन-फानन में आप को बिना शर्त समर्थन दे दिया।
टिप्पणी - विश्वासमत से पहले तक कुत्ते-बिल्ली की तरह झगड़ रहे आप और कांग्रेस की केमिस्ट्री देखने लायक थी। दोनों एक दूसरे को पूरा महत्व रहे थे। इसलिए केजरीवाल ने विश्वास मत के दौरान शीला सरकार के भ्रष्टाचार पर अपने तेवर ढीले कर दिए हैं। देखना है कि ये तेवर कितने दिन ढीले रहते हैं। कारण कि फ्लिप, फ्लाप, फ्लिप करने यानी लगातार पलटियां खाने में केजरीवाल का कोई सानी नहीं है।

बड़ा बंगला और कार के मुदे

चुनाव से पहले- चुनाव से पहले कहा था कि वे बड़े बंगले और वीआईपी कल्चर के खिलाफ हैं। इसलिए लालबत्ती वाले वाहन नहीं लेंगे।
चुनाव के बाद - भगवानदास पर दो बंगले लेने का मन बनाया। एक बंगला साढ़े चार हजार वर्ग फीट का। डीडीए ने रंग रोगन का भी काम शुरू कर दिया। इस इलाके में जमीन की बाजार कीमत २ लाख रूपए वर्गफीट है। इस हिसाब से जमीन ही १८० करोड़ रूपए की है। ६हजार वर्गफीट  निमार्ण की कीमत १५०० रूपए वर्ग फीट के हिसाब से ९० लाख रूपए होती है। यानी जिन दो डूप्लेक्स बंगलो उन्होंने पसंद किए थे उनकी बाजार कीमत ही लगभग १८१ करोड़ रूपए है। खैर मीडिया में खबरें आने के बाद हुई किरकिरी के बाद उन्होंने ये बंगले लेने से मना कर दिया। उनके मंत्रियों को लक्जरी टोयटा इनोवा कारें दी गईं। इस पर केजरीवाल का कहना था उन्होंने लाल बत्तियों वाली गाडिय़ां लेने से मना किया था गाडिय़ों का थोड़े मना किया था। जै हो आपकी प्रभु। कैसे रंग बदल रहे हैं।
टिप्पणी - सवाल बंगले- गाड़ी का नहीं है। अगर आप सरकार में हैं तो लें ही पर उनका दुरूपयोग न करें। अगर आपका बंगला जनता के लिए खुला है तो फिर इस बात का कोई मतलब नहीं रह जाता कि वह कितना बड़ा है। मुख्यमंत्री पद की गरिमा और व्यवस्थाओं के लिए बड़ा बंगला तो चाहिए। सवाल यह है कि फिर मीडिया इस बात का आडिट क्यों कर रहा है तो जवाब यह है कि बंगला-गाड़ी नहीं लेने वाली बात खुद केजरीवाल ने की थी और अब से ही उससे दूर होते नजर आ रहे हैं ऐसे में आडिट लाजिमी ही है।
लोकसभा चुनाव लडऩा
शनिवार ४ दिसंबर - केजरीवाल ने कहा कि वे लोकसभा का चुनाव नहीं लडेंगे।
रविवार ५ दिसंबर - आप पार्टी ने कहा कि यह उनका व्यक्तिगत।१४ जनवरी को खुद केजरीवाल के कहा कि लोकसभा चुनाव भाजपा और आप के बीच लड़ा जाएगा।
टिप्पणी - पहले आपस में तय कर लो, फिर चैनलों पर दिखो। ऐसी भी क्या दिखास की बीमारी है।

चलते-चलते

जनता दरबार में अफरा- तफरी के बाद केजरीवाल ने कहा कि वे अब जनता दरबार नहीं लगाएंगे। जनता अपनी समस्याएं आनलाइन और लिखित में भेज सकती है। यानी केजरी रणछोडऱाय बन गए हैं। यानी नेताओं वाली सारी बातें उनमें कूट-कूटकर भरी हुई हैं।






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