शनिवार, 14 सितंबर 2013

शाब्दिक अनुवाद की गलती से हिन्दी कानूनन नहीं बन सकी राष्ट्रभाषा

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हिन्दी को होना तो था राष्ट्रभाषा लेकिन अनुवाद की गलतफहमियों से यह महज राज काज की भाषा बन कर रह गई है। आज हिन्दी दिवस है। संविधान सभा की ओर से  हिन्दी को देवनागरी लिपि में भारत की official language का दर्जा देने का दिन। 1949 में आज ही के दिन हिन्दी को यह मान्यता मिली । 26 जनवरी 1950 में संविधान लागू हुआ। संविधान के अनुच्छेद-343 में कहा गया  कि  The official language of the Union shall be Hindi in Devnagari script. इसका हिन्दी अनुवाद यूं किया गया कि- संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी। यह सीधा-सीधा शब्दानुवाद है।
विडंबना तो यह है कि भारत का संविधान पहले अंग्रेजी में बनाया गया और फिर उसका हिन्दी अनुवाद किया गया।  The official language of the Union shall be Hindi in Devnagari script   का सही अर्थ यह होना चाहिए कि हिन्दी देवनागरी लिपि में भारत की आधिकारिक भाषा होगी यानी प्रतिनिधि भाषा। इसे हम यूं समझ सकते हैं कि जैसे मनमोहन सिंह भारत के आफिसियल /आधिकारिक प्रधानमंत्री हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि वे सिर्फ प्रधानमंत्री कार्यालय या संसद में बैठने तक ही प्रधानमंत्री रहेंगे। वे घर, बाहर, देश, विदेश कहीं भी जाएं वे भारत के प्रधानमंत्री ही कहलाएंगे। आफिसियल शब्द प्रतिधित्व का बोध करवाता है। इसी तरह official language का अर्थ सिर्फ राज-काज की भाषा नहीं है। यह सवा सौ करोड़ भारतीयों के  प्रतिनिधित्व की भाषा है। राज-काज तो हिन्दी में होगा ही इसके अलावा संसद, विधानसभा और कार्यालयों के बाहर भी हिन्दी आधिकारिक या कानूनी तौर पर संघ यानी भारत की भाषा होनी चाहिए।  हिन्दी भारत की आधिकारिक यानी संवैधानिक रूप से देश की प्रतिनिधि भाषा है। लेकिन केन्द्र सरकारों ने  इसके हिन्दी अनुवाद संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी के मान से इसका अर्थ निकालकर इसे सरकारी काम-काज की भाषा तक सीमित कर दिया।  मसलन हिन्दी जिस सम्मान की हकदार थी वह उसे नहीं मिला। जो लोग हिन्दी बोलते हैं वे तो बोलेंगे ही लेकिन हम अभी तक खामोश हैं। आधिकारिक भाषा का मतलब था कि अगले १५ वर्षो में अंग्रेजी के स्थान पर हिन्दी में ही सारा काम काज होने लगे। इसी भावना से पहले १५ वर्षों तक राजकाज में अंग्रेजी के उपयोग को छूट दी गई थी। बाद में इस छूट को और बढ़ा दिया गया। यह हिन्दी के खिलाफ एक सोची समझी साजिश है। वर्तमान में संसद अंग्रेजी में कानून बनाती है और फिर इसका हिन्दी में अनुवाद होता है। होना यह चाहिए कि पहले कानून हिन्दी में बने और फिर उसका अनुवाद अंग्रेजी में हो। कारण कि भाषा भाव की जननी है। जो भाव हिन्दी में आ सकते हैं वे अंग्रेजी में नहीं ही आ सकते। आ भी गए तो अनुवाद की गलती अर्थ का अनर्थ कर देती है। हिन्दी के साथ ऐसा ही हुआ है। उदाहरण के तौर पर एक गीत की पंक्तियां है कि- राधिके तुने काहे रे बंसरी चुराई..। इसे अगर आप भारत में लोगों का सुनाकर पूछेंगे कि इसका क्या अर्थ तो सामान्य से सामान्य समझ वाला मनुष्य बता देगा कि यह विषय भगवान कृष्ण-राधा और उनके दिव्य प्रेम से जुड़ा हुआ है। दूसरी ओर यही पंक्तियां अनुवाद करके लंदन के लोगों को सुनाई जाएं कि -राधिके वाय केन यू थीप माय फ्लूट। क्या उनके मन में यही भाव आएंगे। नहीं ही आएंगे।  हो सकता है कि उनमें से कोई कह दे कि - सो व्हाट केन आई डू, प्लीस गो टू पोलिस स्टेशन एंड रिपोर्ट हियर।
हाल ही संसद की ओर बलात्कार संबंधी धाराओं में संशोधन करने वाले आपराधिक कानून संशोधन एक्ट-२०१३ का हिन्दी अनुवाद आज हिन्दी दिवस तक केन्द्र सरकार के ईगजट वाले वेब पोर्टल पर नहीं है। हिन्दी गजट वाले विभाग में यह कानून अंग्रेजी में ही खुल रहा है।
तो क्या भारत की संसद हिन्दी के संबंध में अनुवाद में हुए इस महापाप को बदलने का साहस दिखाएगी।
हिन्दी के बारे में संविधान में अंग्रेजी और हिन्दी के अनुच्छेद-३४३ में १९५० में किए गए प्रावधान इस प्रकार हैं।
Article 343. Official language of the Union-
(1) The official language of the Union shall be Hindi in Devnagari script. The form of numerals to be used for the official purposes of the Union shall be the international form of Indian numerals.
(2) Notwithstanding anything in clause (1), for a period of fifteen years from the commencement of this Constitution, the English language shall continue to be used for all the official purposes of the Union for which it was being used immediately before such commencement:
Provided that the President may, during the said period, by order authorise the use of the Hindi language in addition to the English language and of the Devnagari form of numerals in addition to the internationl form of Indian numerals for any of the official purposes of the Union.
(3) Notwithstanding anything in this article, Parliament may be law provide for the use, after the said period of fifteen years, of-  (a) the English language, or (b) the Devnagari form of numerals,
for such purposes as may be specified in the law.
अनुच्छेद ३४३. संघ की राजभाषा--
(१) संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी, संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।
(२) खंड (१) में किसी बात के होते हुए भी, इस संविधान के प्रारंभ से पंद्रह वर्ष की अवधि तक संघ के उन सभी शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा जिनके लिए उसका ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले प्रयोग किया जा रहा था :
परन्तु राष्ट्रपति उक्त अवधि के दौरान, आदेश द्वारा, संघ के शासकीय प्रयोजनों में से किसी के लिए अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिंदी भाषा का और भारतीय अंकों के अंतर्राष्ट्रीय रूप के अतिरिक्त देवनागरी रूप का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगा।
(३) इस अनुच्छेद में किसी बात के होते हुए भी, संसद् उक्त पन्द्रह वर्ष की अवधि के पश्चात्‌, विधि द्वारा (क) अंग्रेजी भाषा का, या (ख) अंकों के देवनागरी रूप का,
ऐसे प्रयोजनों के लिए प्रयोग उपबंधित कर सकेगी जो ऐसी विधि में विनिर्दिष्ट किए जाएं।

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