सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में मुंबई की तालोजा जेल में बंद गुजरात के पूर्व
डीआईजी डीजी बंजारा की १० पेज की चिट्ठी और आशाराम बापू की गिरफ्तारी में संबंध है।
बापू की गिरफ्तारी से उनके अनन्य भक्त बंजारा इतने आहत हुए कि उन्होंने अपने गुरू
यानी आसाराम बापू को बचाने के लिए अपने भगवान नरेन्द्र मोदी से पंगा ले लिया।
१. आशाराम बापू के अनन्य भक्त हैं
बंजारा। बंजारा आसााराम के इतने बड़े भक्त हैं कि जब वे बनासकांठा में पोस्टेड थे
तो वे साबरमती स्थित बापू के आश्रम की गाय का दूध ही मंगवाकर पीते थे। साबरमती से
बनासकांठा लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर है।
२. कथित रेप केस में आसाराम बापू का
भाजपा के कई नेता समर्थन कर रहे थे। मोदी ने उन्हें आसाराम बापू का समर्थन करने से
रोका। इसके बाद मोदी ने आसाराम बापू के आश्रमों के अतिक्रमणों की जांच के लिए
गुजरात के सभी जिला कलेक्टरों का आदेश दिए हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है मोदी और
बापू के बीच पिछले तीन साल से संबंध ठीक नहीं चल रहे हैं। साबरमती आश्रम में दो
बच्चों की मौत के बाद ये रिश्ते और खराब हो गए थे।
३. मोदी की एक खास थ्योरी के अनुसार
महिलाएं के वोट उनके प्रधानमंत्री बनने के
लिए काफी महत्वपूर्ण हैं इसलिए उन्होंने
कथित रेप केस में बापू का खुला समर्थन करने वाले भाजपा नेताओं को रोका।
गुजरात में वे इसी थ्योरी के सहारे हिट हैं। कई दूसरे भाजपा शासित राज्यों
में भी इस थ्योरी को फालो किया जा रहा है।
४. आसाराम बापू के सहारे और उनके
मार्गदर्शन में ही डीजी बंजारा ने जेल में ६ साल से ज्यादा समय काट दिया। बापू की
गिरफ्तारी और मोदी की बेरूखी से बंजारा बुरी तरह टूट गए। बंजारा ने इस्तीफा देकर
१० पेज की चिट्ठी लिखी है।
मतलब साफ है-
- इस चिट्ठी का मतलब साफ है कि मोदी बापू के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करे उल्टे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन कर।
- जैसे मोदी ने अमित शाह को बाहर
निकलवाया वैसे उन्हें यानी बंजारा को भी बाहर निकलवाएं। इसके बाद उनके विश्वासपात्र
पुलिस अधिकारियों को एक-एक करके जेल से बाहर लाएं।
- ऐसा नहीं हो तो कम से कम लोकसभा का चुनाव लड़वा दें।
अन्यथा
बंजारा एनकाउंटर और गुजरात दंगों से जुड़े कई राजों से परदा उठा देंगे।
लोकसभा चुनाव तक देखिए ऐसा ही कुछ घट सकता है।
यानी
गुरूभक्ति की भी यह एक बड़ी मिसाल है।
गेंद अब भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री बनने के दावेदार नरेन्द्र दामोदरदास
मोदी के पाले में है।
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