आपको पता ही है कि नरेन्द्र मोदी का शार्ट नेम है नमो । पर क्या आपको यह पता है उन्हें नमो नाम देने की क्यों जरूरत पड़ी और यह शब्द सबसे पहले कहां प्रयोग में लाया गया। जैसा कि आप जानते ही हैं कि नरेन्द्र शब्द में से न और मोदी शब्द में से मो लेकर नमो बनाया गया है। यानी यह नरेन्द्र मोदी का शार्टनेम है। यह नामकरण उनकी मां, बुआ आदि रिश्तेदारों ने नहीं वरन् गुजराती अखबारों ने किया है। दरअसल गुजराती अखबार में पहले पन्ने की लीड हमेशा ही आठ कालम की होती है और हैडिंग बड़े अक्षरों में रखा जाता है। ऐसे में जब हैडलाइन के अंत में नरेन्द्र मोदी लिखा जाता था तो हैडिंग पतली हो जाती थी। हैडिंग का आकार या तकनीकी भाषा में प्वाइंट साइझ बड़ा रखने के लिए नरेन्द्र मोदी को नमो लिखा जाता है। लगभग दस से बारह साल पहले यह प्रयोग शुरू हुआ था।
जैसे-
१. केन्द्र सरकार आर्थिक मोरचे पर विफल- नरेन्द्र मोदी
२. केन्द्र सरकार आर्थिक मोरचे पर विफल- नमो
२ नंबर वाले हैडिंग में कम शब्द होने से उसका आकार आसानी से बढ़ा किया जा सकता है।
दरअसल आवश्यकता अविष्कार की जननी है की तरह गुजराती अखबारों ने अपनी सुविधा के लिए नरेन्द्र मोदी को नमो बना दिया।
जब मैं २००३ में दैनिक भास्कर समूह के गुजराती अखबार दिव्य भास्कर की लांचिग के लिए तीन साल गुजरात रहा तब एक दिन हैडिंग में मैंने नमो शब्द पड़ा। मैने तब वहां पूछा कि ये नमो क्या है तो बताया गया कि यह मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का शार्टनेम है और फिर मुझे वह कहानी मालूम हुई तो मैंने आपको बताई।
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